बिलासपुर। प्रधानमंत्री ने रविवार को ‘मन की बात’ के 117वें एपिसोड में बस्तर ओलिंपिक को एक प्रेरणादायक पहल बताते हुए उसकी सराहना की। केंद्रीय आवासन एवं शहरी कार्य राज्य मंत्री तोखन साहू ने बस्तर ओलिंपिक की प्रशंसा को छत्तीसगढ़ और बस्तरवासियों के लिए सम्मानजनक बताया।

तोखन साहू ने कहा, “बस्तर ओलिंपिक का ‘मन की बात’ में उल्लेख होना पूरे बस्तर और छत्तीसगढ़िया समाज के लिए गर्व की बात है। इससे न केवल बस्तर की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं को वैश्विक पहचान मिली है, बल्कि यह बस्तरिया पर्यटन को भी नई ऊंचाई पर ले जाएगा। प्रधानमंत्री ने बस्तर की चर्चा कर यह दिखाया कि भाजपा का ‘हमने बनाया है और हम ही संवारेंगे’ का संकल्प मजबूत है।”
रविवार को बिलासपुर में अपने संसदीय क्षेत्र के कार्यकर्ताओं के साथ ‘मन की बात’ सुनने के बाद तोखन साहू ने कहा कि बस्तर में इस आयोजन से एक नई क्रांति का उदय हो रहा है। “पहली बार आयोजित बस्तर ओलिंपिक में 7 जिलों के 1,65,000 से अधिक खिलाड़ियों ने हिस्सा लिया। यह केवल एक आंकड़ा नहीं है, बल्कि युवाओं के दृढ़ संकल्प और बस्तर की सांस्कृतिक विरासत की गौरवगाथा है।”
प्रधानमंत्री मोदी ने बस्तर ओलिंपिक को बताया नई क्रांति का प्रतीक
प्रधानमंत्री मोदी ने ‘मन की बात’ में कहा कि बस्तर में एक अनूठा ओलिंपिक शुरू हुआ है, जो इस क्षेत्र में एक नई क्रांति का प्रतीक बन गया है। उन्होंने बस्तर ओलिंपिक को माओवादी हिंसा से प्रभावित क्षेत्र के सकारात्मक बदलाव का उदाहरण बताया।
उन्होंने कहा, “मेरे लिए यह गर्व की बात है कि बस्तर ओलिंपिक का सपना साकार हुआ। इसका शुभंकर ‘वन भैंसा’ और ‘पहाड़ी मैना’ बस्तर की समृद्ध संस्कृति और परंपराओं का प्रतीक है।”
बस्तर ओलिंपिक: संस्कृति और खेल का संगम
बस्तर ओलिंपिक की शुरुआत न केवल खेलों को बढ़ावा देने के लिए हुई है, बल्कि यह आयोजन बस्तर की सांस्कृतिक पहचान को पुनर्जीवित करने का एक प्रयास है। इस आयोजन ने स्थानीय युवाओं को मंच देकर उनके सपनों को साकार करने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है।
बस्तर ओलिंपिक का ‘मन की बात’ में जिक्र होना इस बात का प्रमाण है कि छत्तीसगढ़ की संस्कृति और परंपरा ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर एक नई पहचान बनाई है।